बुरा मान गये क्यों, बुरा मान गये क्यों
एक दिन करना पडेगा सामना, दिला दी याद किसी ने उसमें।
जब किया ही है, कहने वाले तो कहेंगे, किसी ने कह दिया उसमें
हर वक्त की मजाक, लगती थी ना जब अच्छी, हुए जब शामिल उसमें।
अपमान करने वालों से रह ना सके जब दूर, हुआ जब अपमान
थी कमी तो खुद में, दिखला दी वह किसी ने, उसमें।
है ना ताकत सबकी बराबर, हुई हार या जीत उसमें
हर ब़क्त जैसा बर्ताव कर ना सके इस बार मैं।
है स्वभाव सबका अलग अलग, दिखाई दी अलगता अन्य में, उसमें
हर समय, हर वक्त, रह ना सके कोई साथ में, तुम्हारे, इसमें।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)