कह रहा है वक्त जग को तो बार-बार
तुझे रुकना है तो रुकना, मैं तो नही रुकूँगा।
है ना फुरसत मुझे रुकने की, ना है फुरसत करने की बात,
यदि करनी है बात तुझे मुझसे, बढ़ाना कदम मेरे साथ।
है दृष्टि मेरी आगे-आगे, दृष्टि पीछे ना करुँगा,
चलना आगे-आगे तो मेरा काम है, ना आराम मैं लूँगा।
कर रहा हूँ काम जो सौंपा गया है, मुझे वह मैं ना भूलूँगा।
कोई क्या कर रहा है या नही वह मैं तो ना देखूँगा
जग में आगे चलते रहना तो काम मेरा, ना मैं पीछे हटूँगा,
चलना तो चलना मेरे साथ, पीछे रहना भारी पड़ जायेगा।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)