सब कुछ दिया हुआ है प्रभु का तेरे पास तो बंदे,
सब कुछ है जीवन में, नहीं है सिर्फ प्रभु वो तेरे पास।
दिया हुआ जीवन तो तुझे, है तेरे पास जग में तो बंदे,
इस जीवन में तो है ढूँढ़ता तो उन्हें, है अब यह तो तेरे हाथ।
व्यर्थ समय क्यों बिता रहा है, बिता रहा है तू क्यों बंदे?
जब पता नही है तुझे, है समय कितना तो तेरे पास।
तन बदन में है, जब तक जीवन, है जब तक जीवन तेरे पास।
क्यों नहीं ढूँढता जीवन में तू उन्हें, जब तक जीवन है तेरे साथ।
देखता है जगमें तेरे पास में जो, क्या रहेगा वह तेरे साथ में बंदे?
रहनेवाला है तेरे साथ में सदा वह, क्यों नहीं ढूँढ़ता जीवन में उसे बंदे?
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)