आतिश (ज्योत) जो जल रहा है, प्यार का दिल में, एक बार तो देख लीजिए,
तस्वीर बना के आपकी दिल में, जलाया है आतिश प्यार का दिल में।
प्रगटायी प्यार की चिंगारी जो दिल में, आतिश बन के जल रहा है दिल में
जब भी प्यार का सोचा दिल में, आतिश बनकर आया वह आँखों के सामने।
लगे ना हवा उसको, छिपा के रखा था इसे इसलिए तो दिल में।
पीना पड़े उदासी का जाम दिल में जग में, देखता हूँ तस्वीर आपकी दिल में।
दिल की बाजी लगा लेता हूँ दिल से दिल में, जला के प्यार की आतिश दिल में।
निकलता है प्रकाश तो नैनों में, मिलता उजाला उनका तो दिल में।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)