बरसों से दिल ने तैयारी आपके आगमन की,
अब तो आ जाओ, देर ना लगाओ, बरसों की इंत़जार का फल देते जाओ।
आ के दिल में स्थान जमाओ, रह गयी हो कोई कसर, माफ करो माफी के काबिल बनाओ।
जीत ना सकता है पल जुदाई का, अब रहम करके जल्दी आ जाओ।
आकर हमारे दिल की नक्शे त़कदीर इंतजार की बदल जाओ,
किस कारण ले रहे हो बदला, उन कर्मों को आज हमें बतलाओ।
ताकतवान तो है तू, हमारी कम ताकत को ना आजमाओ,
दिल में अरमान भरे हैं, रहकर साथ में आज सच उन्हें बनाओ।
ना समय का हिसाब है पास तेरे, हमारे समय का ख्याल रखो
क्या कहे तुझे हम, कहने के काबिल अब तो हमें बनाओ।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)