Hymn No. 6324 | Date: 25-Jul-1996
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है बेमिसाल तो वह, दूँ तो मैं मिसाल उन्हें किसकी? दूँ जो जो भी मिसाल उन्हें, लगे वह सब तो अधूरी ही अधूरी। है गुरु मेरे तो ऐसी हस्ति, खुद ही तो हैं मिसालों की हस्ति है तेजपुंज तो वह ऐसे, सूरज देखे जो उन्हें, चमकना भी भूल जाये। है चरण तो उनके ऐसे, सब सिर झुकाकर बैठे है उनके चरणों में, है दिल तो उनका ऐसा, सब जानकारी का है मानो पूरा दरिया। आँखें हैं तो ऐसी, फेंके जिसपर वह किरण, उठे आनंद की वहाँ भरती बाहु है उनके ऐसे, सारा संसार लपेटे हुए जिसमें बैठे। निकले शब्द जब मुँह से, लगे बज रही है धीर गंभीर बंसी, दिल है तो ऐसा कोमल, है दिल में तो भरी भारी प्रभु की हस्ति। है वह स्वयं ही, स्वयं की मिसाल, दूँ मैं मिसाल उन्हें किसकी हे मेरे सिद्धनाथ बाबा, स्वीकारो वंदन तो मेरी।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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