Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7311 | Date: 04-Apr-1998
फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में
Phurasata kō rukhasata nā dī yadi jīvana mēṁ

સમય, પશ્ચાતાપ, શંકા (Time, Regret, Doubt)

Hymn No. 7311 | Date: 04-Apr-1998

फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में

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phurasata kō rukhasata nā dī yadi jīvana mēṁ

સમય, પશ્ચાતાપ, શંકા (Time, Regret, Doubt)

1998-04-04 1998-04-04 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=15300 फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में,

समझो जीवन जंग-ए-ऐलान तो नासमझ।

मोहब्बत की गलियों में फिर के भी सुख शैय्या चाहते रहे,

समझो प्रेम की गलत गलियों में घूम रहे।

गैरों की आवाज सुनकर के तो जाग गये,

खुद का आवाज जब ना सुना जग में ना कुछ सुने।

सब गलियों में घूमने की फुरसत मिली, प्रभु की गलियों में क्यों ना फिरे,

सुख चैन मिले जिन चरणों में वही चरण क्यों भूल गये।

भूलने के लिये फुरसत मिली, याद रखने के लिये फुरसत ना मिली,

हर चीज में चैन ढूँढ़ता रहा, प्रभु में चैन क्यों ना मिले।
https://www.youtube.com/watch?v=0ZL0q4MFxvI
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फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में,

समझो जीवन जंग-ए-ऐलान तो नासमझ।

मोहब्बत की गलियों में फिर के भी सुख शैय्या चाहते रहे,

समझो प्रेम की गलत गलियों में घूम रहे।

गैरों की आवाज सुनकर के तो जाग गये,

खुद का आवाज जब ना सुना जग में ना कुछ सुने।

सब गलियों में घूमने की फुरसत मिली, प्रभु की गलियों में क्यों ना फिरे,

सुख चैन मिले जिन चरणों में वही चरण क्यों भूल गये।

भूलने के लिये फुरसत मिली, याद रखने के लिये फुरसत ना मिली,

हर चीज में चैन ढूँढ़ता रहा, प्रभु में चैन क्यों ना मिले।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

phurasata kō rukhasata nā dī yadi jīvana mēṁ,

samajhō jīvana jaṁga-ē-ailāna tō nāsamajha।

mōhabbata kī galiyōṁ mēṁ phira kē bhī sukha śaiyyā cāhatē rahē,

samajhō prēma kī galata galiyōṁ mēṁ ghūma rahē।

gairōṁ kī āvāja sunakara kē tō jāga gayē,

khuda kā āvāja jaba nā sunā jaga mēṁ nā kucha sunē।

saba galiyōṁ mēṁ ghūmanē kī phurasata milī, prabhu kī galiyōṁ mēṁ kyōṁ nā phirē,

sukha caina milē jina caraṇōṁ mēṁ vahī caraṇa kyōṁ bhūla gayē।

bhūlanē kē liyē phurasata milī, yāda rakhanē kē liyē phurasata nā milī,

hara cīja mēṁ caina ḍhūm̐ḍha़tā rahā, prabhu mēṁ caina kyōṁ nā milē।
English Explanation Increase Font Decrease Font


In this Bhajan Shri Devendra Ghiaji, wants to tell us if we don't give up the leisure in life then you cannot find time to search Lord. If you want to understand true happiness you have to remove the time to listen to your inner voice.

If you don't farewell the leisure of life,

Understand life don't declare it as a war.

Though traveled on the path of love, searching for happiness

Understand you were traveling on the wrong path of love.

Hearing the unknown voice you woke up,

But if you could not hear your own inner voice then you have not heard anything in this world.

When you got the leisure to wander the entire path, then why you did not wander in God's path.

Why did you forget the steps in which you got happiness and peace.

To forget you got the time, but to remember you did not get time.

In all materialistic things you were searching for peace, then why you did not get peace in Lord.
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Hindi Bhajan no. 7311 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन मेंफुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में,

समझो जीवन जंग-ए-ऐलान तो नासमझ।

मोहब्बत की गलियों में फिर के भी सुख शैय्या चाहते रहे,

समझो प्रेम की गलत गलियों में घूम रहे।

गैरों की आवाज सुनकर के तो जाग गये,

खुद का आवाज जब ना सुना जग में ना कुछ सुने।

सब गलियों में घूमने की फुरसत मिली, प्रभु की गलियों में क्यों ना फिरे,

सुख चैन मिले जिन चरणों में वही चरण क्यों भूल गये।

भूलने के लिये फुरसत मिली, याद रखने के लिये फुरसत ना मिली,

हर चीज में चैन ढूँढ़ता रहा, प्रभु में चैन क्यों ना मिले।
1998-04-04https://i.ytimg.com/vi/0ZL0q4MFxvI/mqdefault.jpgBhaav Samadhi Vichaar Samadhi Kaka Bhajanshttps://www.youtube.com/watch?v=0ZL0q4MFxvI
फुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन मेंफुरसत को रुखसत ना दी यदि जीवन में,

समझो जीवन जंग-ए-ऐलान तो नासमझ।

मोहब्बत की गलियों में फिर के भी सुख शैय्या चाहते रहे,

समझो प्रेम की गलत गलियों में घूम रहे।

गैरों की आवाज सुनकर के तो जाग गये,

खुद का आवाज जब ना सुना जग में ना कुछ सुने।

सब गलियों में घूमने की फुरसत मिली, प्रभु की गलियों में क्यों ना फिरे,

सुख चैन मिले जिन चरणों में वही चरण क्यों भूल गये।

भूलने के लिये फुरसत मिली, याद रखने के लिये फुरसत ना मिली,

हर चीज में चैन ढूँढ़ता रहा, प्रभु में चैन क्यों ना मिले।
1998-04-04https://i.ytimg.com/vi/a5AVgJ-6KJU/mqdefault.jpgBhaav Samadhi Vichaar Samadhi Kaka Bhajanshttps://www.youtube.com/watch?v=a5AVgJ-6KJU


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