Hymn No. 4066 | Date: 28-Jul-1992
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कैसे कहूँ, कब कहूँ, क्यों कहूँ, क्या कहूँ, समझ में आता नही, क्या करूँ
Kaise Kahoon, Kab Kahoon, Kyo Kahoon, Kya Kahoon, Samajh Mai Ata Nahee, Kya Karoon
સ્વયં અનુભૂતિ, આત્મનિરીક્ષણ (Self Realization, Introspection)
कैसे कहूँ, कब कहूँ, क्यों कहूँ, क्या कहूँ, समझ में आता नही, क्या करूँ कहूँ तो कैसे कहूँ, कुछ समझ में नहीं आता, मैं कैसे कहूँ करूँ तो कहाँ से शुरू करूँ, समझ में नहीं आता, कहाँ पर रूकूँ यकीन नहीं है दिलमें, शुरू करूँ, फिर भी पूरा मैं कर सकूँ कहना चाहता हूँ, जुबाँ पर नही आता, तब मैं क्या करूँ रुक जाती है जुबाँ मेरी, आती नज़र में मूर्ति तेरी, तब मैं क्या करूँ कोई अनुभव नहीं, सुनी सुनाई पर यकीन नहीं, तब मैं कैसे कहूँ कर दिया है जब शुरू, तब कह ही दूँ, कहना है, तब पूरा कर दूँ।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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