तेरे ही ख़ातिर बने हम तेरे ही दीवाने, तू माने या ना माने।
कई रातें बिताई तेरी ही यादों में, तू माने या ना माने।
खो गये थे हम तेरी ही यादों में, तू माने या ना माने।
खाने पीने में रस कोई ना रहा, तू माने या ना माने।
हर साँस में सुनाई दे तेरी आवाज, तू माने या ना माने।
आँखों आँखों में छाई रही तेरी ही मूरत, तू माने या ना माने।
साँसें बोलने लगे बस एक तेरा ही नाम, तू माने या ना माने।
अब तो तू ही बन गई है मेरे सुख की संपत्ति, तू माने या ना माने।
कहूँ तुम्हें प्रीत या प्यार, है यह दिल का इकरार, तू माने या ना माने।
थी दिल में छिपी बात करता हूँ इकरार, तू माने या ना माने।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)