Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 9138 | Date: 30-Jan-2002
तेरी संगत की रंगत लगी, बात दिल की अंगत बनी
Tērī saṁgata kī raṁgata lagī, bāta dila kī aṁgata banī
Hymn No. 9138 | Date: 30-Jan-2002

तेरी संगत की रंगत लगी, बात दिल की अंगत बनी

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tērī saṁgata kī raṁgata lagī, bāta dila kī aṁgata banī

2002-01-30 2002-01-30 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=18625 तेरी संगत की रंगत लगी, बात दिल की अंगत बनी तेरी संगत की रंगत लगी, बात दिल की अंगत बनी

हँसत-हँसत मन लुभावत रही, दिल को लुभाने लगी।

नज़र-नज़र से मिलने लगी, हलचल दिल में मचने लगी,

भावों की दिल में धूम मची, ना दिल से अनजान रही।

दिल में प्रेम की धारा बहती रही, नयनों से अश्रुधारा बहती रही,

नयनों से नयन मिलते रहे, बंद आँखो से आँख दिखने लगी।

होवत-होवत होने लगी, सरेआम, दिल को नचावत रही,

संगत बढ़त रही द्वार प्रेम के वह तो खोलत रही।

प्रेम की दौलत बढ़त रही, तन मन आन-बान भूलत रही।
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तेरी संगत की रंगत लगी, बात दिल की अंगत बनी

हँसत-हँसत मन लुभावत रही, दिल को लुभाने लगी।

नज़र-नज़र से मिलने लगी, हलचल दिल में मचने लगी,

भावों की दिल में धूम मची, ना दिल से अनजान रही।

दिल में प्रेम की धारा बहती रही, नयनों से अश्रुधारा बहती रही,

नयनों से नयन मिलते रहे, बंद आँखो से आँख दिखने लगी।

होवत-होवत होने लगी, सरेआम, दिल को नचावत रही,

संगत बढ़त रही द्वार प्रेम के वह तो खोलत रही।

प्रेम की दौलत बढ़त रही, तन मन आन-बान भूलत रही।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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tērī saṁgata kī raṁgata lagī, bāta dila kī aṁgata banī

ham̐sata-ham̐sata mana lubhāvata rahī, dila kō lubhānē lagī।

naja़ra-naja़ra sē milanē lagī, halacala dila mēṁ macanē lagī,

bhāvōṁ kī dila mēṁ dhūma macī, nā dila sē anajāna rahī।

dila mēṁ prēma kī dhārā bahatī rahī, nayanōṁ sē aśrudhārā bahatī rahī,

nayanōṁ sē nayana milatē rahē, baṁda ām̐khō sē ām̐kha dikhanē lagī।

hōvata-hōvata hōnē lagī, sarēāma, dila kō nacāvata rahī,

saṁgata baḍha़ta rahī dvāra prēma kē vaha tō khōlata rahī।

prēma kī daulata baḍha़ta rahī, tana mana āna-bāna bhūlata rahī।
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Hindi Bhajan no. 9138 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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