Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 4820 | Date: 20-Jul-1993
कहूँ तो मैं, कैसे कहूँ, प्रभु कहूँ तो मैं कैसे कहूँ?
Kahūm̐ tō maiṁ, kaisē kahūm̐, prabhu kahūm̐ tō maiṁ kaisē kahūm̐?

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

Hymn No. 4820 | Date: 20-Jul-1993

कहूँ तो मैं, कैसे कहूँ, प्रभु कहूँ तो मैं कैसे कहूँ?

  Audio

kahūm̐ tō maiṁ, kaisē kahūm̐, prabhu kahūm̐ tō maiṁ kaisē kahūm̐?

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1993-07-20 1993-07-20 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=320 कहूँ तो मैं, कैसे कहूँ, प्रभु कहूँ तो मैं कैसे कहूँ? कहूँ तो मैं, कैसे कहूँ, प्रभु कहूँ तो मैं कैसे कहूँ?

कहना चाहता हूँ, है जो दिल में, जुबाँ पर मैं ना ला सकूँ

कहना चाहता बहुत कुछ, फिर भी कुछ मैं ना कह सकूँ

कहना है जब तुझे प्रभु, आता नही समझ में, कहाँ से शुरू करूँ?

दुःख की बात कहूँ तुझे प्रभु, या सुख की बात तो मैं करूँ

है दिल में जो, कहना चाहता हूँ, जुबाँ पर वह कैसे लाऊँ

तेरे बिना ना है कोई सुनने वाला मेरा, तुझे बात मेरी कहूँ?

आज नहीं तो कल, कहनी पड़ेगी, क्यों ना आज ही कहूँ?
https://www.youtube.com/watch?v=kigQerx_l3k
View Original Increase Font Decrease Font


कहूँ तो मैं, कैसे कहूँ, प्रभु कहूँ तो मैं कैसे कहूँ?

कहना चाहता हूँ, है जो दिल में, जुबाँ पर मैं ना ला सकूँ

कहना चाहता बहुत कुछ, फिर भी कुछ मैं ना कह सकूँ

कहना है जब तुझे प्रभु, आता नही समझ में, कहाँ से शुरू करूँ?

दुःख की बात कहूँ तुझे प्रभु, या सुख की बात तो मैं करूँ

है दिल में जो, कहना चाहता हूँ, जुबाँ पर वह कैसे लाऊँ

तेरे बिना ना है कोई सुनने वाला मेरा, तुझे बात मेरी कहूँ?

आज नहीं तो कल, कहनी पड़ेगी, क्यों ना आज ही कहूँ?




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

kahūm̐ tō maiṁ, kaisē kahūm̐, prabhu kahūm̐ tō maiṁ kaisē kahūm̐?

kahanā cāhatā hūm̐, hai jō dila mēṁ, jubām̐ para maiṁ nā lā sakūm̐

kahanā cāhatā bahuta kucha, phira bhī kucha maiṁ nā kaha sakūm̐

kahanā hai jaba tujhē prabhu, ātā nahī samajha mēṁ, kahām̐ sē śurū karūm̐?

duḥkha kī bāta kahūm̐ tujhē prabhu, yā sukha kī bāta tō maiṁ karūm̐

hai dila mēṁ jō, kahanā cāhatā hūm̐, jubām̐ para vaha kaisē lāūm̐

tērē binā nā hai kōī sunanē vālā mērā, tujhē bāta mērī kahūm̐?

āja nahīṁ tō kala, kahanī paḍa़ēgī, kyōṁ nā āja hī kahūm̐?
English Explanation: Increase Font Decrease Font


If I have to tell you, how should I tell, Oh God, how should I tell?

Want to tell what is there in my heart, but I am not able to bring it to my lips.

Want to tell lot of things, but I am not able to say anything.

When I want to tell you, Oh God, I do not know from where to begin.

Should I tell you about my unhappiness, Oh God, or should I tell you about my comforts.

Whatever is there in my heart, I want to tell that, but how should I bring it to my lips.

There is no one apart from you to listen to me, shall I talk to you?

Today or tomorrow I will have to tell, then why should I not say it today?
Scan Image

Hindi Bhajan no. 4820 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
First...481648174818...Last