Hymn No. 4845 | Date: 30-Jul-1993
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मैं तो करूँ, मैं तो करूँ, क्या करूँ, कैसे करूँ, समझ में आता नहीं, मैं क्या करूँ?
Main To Karoon, Main To Karoon, Kya Karoon, Kaise Karoon, Samajh Mein Aata Nahin, Main Kya Karoon?
જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)
मैं तो करूँ, मैं तो करूँ, क्या करूँ, कैसे करूँ, समझ में आता नहीं, मैं क्या करूँ? क्या करूँ, कब करूँ, जीवन में उलझन में हूँ मैं, अब मैं क्या करूँ? करना चाहता हूँ मैं बहुत कुछ, शुरु करूँ तो मैं कहाँ से शुरू करूँ? रुकते ही रुकते, मैं जीवन जिये जा रहा हूँ, अब शुरू करूँ तो कहासे करूँ? बार बार करना चाहता हूँ शुरु, कर ना सकूँ, तब तो मैं क्या करूँ? आना है तेरे पास प्रभु, ना आ सकूँ, मन अस्थिर है, तब मैं क्या करूँ? वेदना भरी भरी है दिल में, करना चाहता हूँ खाली, कहाँ और कैसे करूँ? बढना चाहता हूँ मैं आगे, पीछे खींचा जा रहा हूँ मैं, तब मैं क्या करूँ? दिल भी है, दिल में दर्द भी है, दिल को दर्द से मुक्त मैं कैसे करूँ? जो भी हूँ, मैं तेरा ही हूँ, तेरा बनने में करना पड़े, मैं तो वही करूँ।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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