Hymn No. 4857 | Date: 01-Aug-1993
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तू हर दिल में तो बसता है, तेरे बिना जगह ना कोई खाली है, बसके सब हृदय में, ऐसा तू क्यों करता है, लगता है, जग में जैसा अँधेर है सोचे तेरे बारे में जितना हे प्रभु, लगता है, यह फिर भी तो कम है, मिले प्रेम का निशान तेरा हर जगह से, जब दिल तो साफ होता है। करे तो जग में क्या करे, और कैसे करे, जब तो तू हर पल साथ में रहता है, सुख-दुःख की लेन-देन जग में तो होती है, साथ में रहकर पूरी तू करवाता है। रुक जाएँगे हाथ-पाँव जग में हमारे, मंजूरी जग में तो नहीं होती है, साथ सदा रहते हुए भी, ना तू दिखाई देता है, दूर तब तो तू लगता है। सुख-चैन से रहने देना हमें, जब सुख सागर जग में तू कहलाता है, कहो अब जग में हम क्या करे, जीवन में मिलन तेरा जिससे होता है।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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