Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 4979 | Date: 09-Oct-1993
कहाँ से मैं कहाँ पहुँच गया, ना पता मुझे उसका चला
Kahām̐ sē maiṁ kahām̐ pahum̐ca gayā, nā patā mujhē usakā calā

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 4979 | Date: 09-Oct-1993

कहाँ से मैं कहाँ पहुँच गया, ना पता मुझे उसका चला

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kahām̐ sē maiṁ kahām̐ pahum̐ca gayā, nā patā mujhē usakā calā

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1993-10-09 1993-10-09 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=479 कहाँ से मैं कहाँ पहुँच गया, ना पता मुझे उसका चला कहाँ से मैं कहाँ पहुँच गया, ना पता मुझे उसका चला

देखा राह जिस दिन का, चला ना पता, कब आकर कब चला गया?

हुआ कैसे हुआ, पता ना चला, जीवन में वह तो कैसे हुआ?

दुख भी आया, सुख भी आया, अपनी-अपनी याद वह दे गया।

एहसास दिल में दर्द का हुआ, कभी रुका, कभी वह चला गया।

जीवन ने मुझे तो दिया, कुछ तो लिया, फिर भी खाली रह गया।

थी कोशिश तो शुरु, जहाँ पहुँचना था, रुका कैसे, पता ना चला।

विपरीत भाव दिल में जागे कैसे, टिके कैसे, ना उसका पता चला।

रह-रहकर आयी याद उनकी, आयी कैसे, ना उसका पता चला।
https://www.youtube.com/watch?v=c8fLGMRAAFM
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कहाँ से मैं कहाँ पहुँच गया, ना पता मुझे उसका चला

देखा राह जिस दिन का, चला ना पता, कब आकर कब चला गया?

हुआ कैसे हुआ, पता ना चला, जीवन में वह तो कैसे हुआ?

दुख भी आया, सुख भी आया, अपनी-अपनी याद वह दे गया।

एहसास दिल में दर्द का हुआ, कभी रुका, कभी वह चला गया।

जीवन ने मुझे तो दिया, कुछ तो लिया, फिर भी खाली रह गया।

थी कोशिश तो शुरु, जहाँ पहुँचना था, रुका कैसे, पता ना चला।

विपरीत भाव दिल में जागे कैसे, टिके कैसे, ना उसका पता चला।

रह-रहकर आयी याद उनकी, आयी कैसे, ना उसका पता चला।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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kahām̐ sē maiṁ kahām̐ pahum̐ca gayā, nā patā mujhē usakā calā

dēkhā rāha jisa dina kā, calā nā patā, kaba ākara kaba calā gayā?

huā kaisē huā, patā nā calā, jīvana mēṁ vaha tō kaisē huā?

dukha bhī āyā, sukha bhī āyā, apanī-apanī yāda vaha dē gayā।

ēhasāsa dila mēṁ darda kā huā, kabhī rukā, kabhī vaha calā gayā।

jīvana nē mujhē tō diyā, kucha tō liyā, phira bhī khālī raha gayā।

thī kōśiśa tō śuru, jahām̐ pahum̐canā thā, rukā kaisē, patā nā calā।

viparīta bhāva dila mēṁ jāgē kaisē, ṭikē kaisē, nā usakā patā calā।

raha-rahakara āyī yāda unakī, āyī kaisē, nā usakā patā calā।
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Hindi Bhajan no. 4979 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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