ना हम तो डरेंगे, ना पीछे हम तो हटेंगे,
ना जीवन में हम तो रुकेंगे, हम तो आगे बढ़ेंगे।
निकले हैं जिस राहपर, कामयाबी हासिल किये बिना ना छोड़ेंगे।
रखा है लक्ष्य नज़र के सामने, वहाँ तो हम जरूर पहुँचेंगे,
जो सामना जीवन में करना पडे, वह सामना हम तो करेंगे।
मिले ना साथ या साथी, अकेले भी हम तो चलेंगे,
जब राह हमारी है सच्ची, दिल है हमारा सच्चा, ना हम तो डरेंगे।
करेंगे सब कुछ जीवन में, ना बिना सोच के हम तो करेंगे,
रुकना चाहिए जहाँ पर जीवन में, वहाँ हम तो जरूर रुकेंगे,
इन्सान बनकर आये हैं, हम इन्सानियत से ना हटेंगे।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)