ख्वाबों में मोहब्बत में, क्यों जीवन में तू डूबे जा रहा है तू बंदे?
ख्वाबों में मोहब्बत को, हकीकत मोहब्बत में, बदल दे, जीवन में तू प्यारे।
मिल गई है क्या, तेरे दिल को तसल्ली प्यार की तो जीवन में?
टिक नही सकती मोहब्बत की मिनारें, सच्ची मोहब्बत बिना जीवन के आँगन में।
हकीकतें मुहब्बत को चाहिये, जीवन में तो दो मोहब्बत भरी निगाहें।
सूखी रेती में खिल नहीं सकती है, फूल की बगिया प्यारे।
शिकायत ना करना मोहब्बत की, दिल में ताकत नहीं है जब प्यारे,
झूठी मोहब्बत के सहारे, ना ख्वाब बन सकेगा हकीकत तो प्यारे।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)