Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 5688 | Date: 23-Feb-1995
ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ
Nā maiṁ phariśtā hūm̐, jhūṭhī śānēṁ mēṁ ḍūbā huā ēka māmūlī insāna hūm̐

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 5688 | Date: 23-Feb-1995

ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ

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nā maiṁ phariśtā hūm̐, jhūṭhī śānēṁ mēṁ ḍūbā huā ēka māmūlī insāna hūm̐

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1995-02-23 1995-02-23 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=1187 ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ,

इन झूठी शानों में डूबकर, इन झूठी शानों से मैं परेशान हूँ।

हर एक शान तो मेरी शान है, मेरी शान ही तो मेरी पहचान है,

कई शान बढ़ा रही है शान मेरी, कई शान से मैं तो परेशान हूँ।

प्रेम मेरा आधार है, प्रेम मेरी ज़िंदगी है, प्रेम तो ज़िंदगी की शान है,

प्यार जीवन का आधार है, प्यार जीवन की माँग है, प्यार जीवन की शान है।

टकराई जब शान के सामने शान, जंग ही वह शान की तो शान है,

रोना ना ज़िंदगी की तो शान है, हर हालत में मुस्कुराना जीवन की शान है।

छेड़ दी है जब जंग तो जीवन में, जीत ही तो जंग की तो शान है,

प्रभु प्रेम ही है जीवन का नशा मेरा, वह नशा तो मेरे जीवन की शान है।
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ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ,

इन झूठी शानों में डूबकर, इन झूठी शानों से मैं परेशान हूँ।

हर एक शान तो मेरी शान है, मेरी शान ही तो मेरी पहचान है,

कई शान बढ़ा रही है शान मेरी, कई शान से मैं तो परेशान हूँ।

प्रेम मेरा आधार है, प्रेम मेरी ज़िंदगी है, प्रेम तो ज़िंदगी की शान है,

प्यार जीवन का आधार है, प्यार जीवन की माँग है, प्यार जीवन की शान है।

टकराई जब शान के सामने शान, जंग ही वह शान की तो शान है,

रोना ना ज़िंदगी की तो शान है, हर हालत में मुस्कुराना जीवन की शान है।

छेड़ दी है जब जंग तो जीवन में, जीत ही तो जंग की तो शान है,

प्रभु प्रेम ही है जीवन का नशा मेरा, वह नशा तो मेरे जीवन की शान है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

nā maiṁ phariśtā hūm̐, jhūṭhī śānēṁ mēṁ ḍūbā huā ēka māmūlī insāna hūm̐,

ina jhūṭhī śānōṁ mēṁ ḍūbakara, ina jhūṭhī śānōṁ sē maiṁ parēśāna hūm̐।

hara ēka śāna tō mērī śāna hai, mērī śāna hī tō mērī pahacāna hai,

kaī śāna baḍha़ā rahī hai śāna mērī, kaī śāna sē maiṁ tō parēśāna hūm̐।

prēma mērā ādhāra hai, prēma mērī ja़iṁdagī hai, prēma tō ja़iṁdagī kī śāna hai,

pyāra jīvana kā ādhāra hai, pyāra jīvana kī mām̐ga hai, pyāra jīvana kī śāna hai।

ṭakarāī jaba śāna kē sāmanē śāna, jaṁga hī vaha śāna kī tō śāna hai,

rōnā nā ja़iṁdagī kī tō śāna hai, hara hālata mēṁ muskurānā jīvana kī śāna hai।

chēḍa़ dī hai jaba jaṁga tō jīvana mēṁ, jīta hī tō jaṁga kī tō śāna hai,

prabhu prēma hī hai jīvana kā naśā mērā, vaha naśā tō mērē jīvana kī śāna hai।
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Hindi Bhajan no. 5688 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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