Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6379 | Date: 12-Sep-1996
रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, तेरे बिन जीवन में आज
Rahā nahīṁ jāya, rahā nahīṁ jāya, rahā nahīṁ jāya, tērē bina jīvana mēṁ āja

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

Hymn No. 6379 | Date: 12-Sep-1996

रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, तेरे बिन जीवन में आज

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rahā nahīṁ jāya, rahā nahīṁ jāya, rahā nahīṁ jāya, tērē bina jīvana mēṁ āja

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1996-09-12 1996-09-12 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=12368 रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, तेरे बिन जीवन में आज रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, तेरे बिन जीवन में आज

हो रही है महसूस, तेरे कमी जीवन में तो आज।

जीवन के फूलों के आँगन में से, बह रही है अश्रुधारा आज,

किया ना था विचार जो कभी तो, लो, कर रहा हूँ मैं तो आज।

पहले भी और आज भी चल रही है श्वास, फर्क महसूस कर रहा हूँ आज,

पूरी हो ना सकी वह कमी तेरी, कमी तेरी महसूस कर रहा हूँ मैं आज।

लगता नही चित्त काम में, लगता नही चित्त कही भी तो आज,

पूरी करेगा, वह कौन कमी तेरी, सपनों में भी महसूस हो रही है कमी तेरी आज।

जीवन के सब सुख, कर न सके पूरी कमी तेरी, जो लग रही है आज

देकर दर्शन तेरे, कर दे वह कमी तू पूरी, प्रभु कर दे पूरी तू आज।
https://www.youtube.com/watch?v=nIIAeOeq5ds
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रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, रहा नहीं जाय, तेरे बिन जीवन में आज

हो रही है महसूस, तेरे कमी जीवन में तो आज।

जीवन के फूलों के आँगन में से, बह रही है अश्रुधारा आज,

किया ना था विचार जो कभी तो, लो, कर रहा हूँ मैं तो आज।

पहले भी और आज भी चल रही है श्वास, फर्क महसूस कर रहा हूँ आज,

पूरी हो ना सकी वह कमी तेरी, कमी तेरी महसूस कर रहा हूँ मैं आज।

लगता नही चित्त काम में, लगता नही चित्त कही भी तो आज,

पूरी करेगा, वह कौन कमी तेरी, सपनों में भी महसूस हो रही है कमी तेरी आज।

जीवन के सब सुख, कर न सके पूरी कमी तेरी, जो लग रही है आज

देकर दर्शन तेरे, कर दे वह कमी तू पूरी, प्रभु कर दे पूरी तू आज।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

rahā nahīṁ jāya, rahā nahīṁ jāya, rahā nahīṁ jāya, tērē bina jīvana mēṁ āja

hō rahī hai mahasūsa, tērē kamī jīvana mēṁ tō āja।

jīvana kē phūlōṁ kē ām̐gana mēṁ sē, baha rahī hai aśrudhārā āja,

kiyā nā thā vicāra jō kabhī tō, lō, kara rahā hūm̐ maiṁ tō āja।

pahalē bhī aura āja bhī cala rahī hai śvāsa, pharka mahasūsa kara rahā hūm̐ āja,

pūrī hō nā sakī vaha kamī tērī, kamī tērī mahasūsa kara rahā hūm̐ maiṁ āja।

lagatā nahī citta kāma mēṁ, lagatā nahī citta kahī bhī tō āja,

pūrī karēgā, vaha kauna kamī tērī, sapanōṁ mēṁ bhī mahasūsa hō rahī hai kamī tērī āja।

jīvana kē saba sukha, kara na sakē pūrī kamī tērī, jō laga rahī hai āja

dēkara darśana tērē, kara dē vaha kamī tū pūrī, prabhu kara dē pūrī tū āja।
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Hindi Bhajan no. 6379 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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