रुक जाइये रुक जाइये, जरा तो रुक जाइये,
आपके गलत निर्णयों का असर, अन्य पर तो ना डालिये।
है जहाँ भी आप, एक नज़र जरा उस पर तो डालिये,
सच है, या झूठ है, वक्त ही बतलायेगा, सदा यह याद रखिये।
जिम्मेदारी है खुद के विचारों की, ना किस्म़त पर जिम्मेदारी डालिये
रह गया है दिल में जो, वापस मिलेगा, जीवन में यह मत भूलिये।
कठिन होगा वापस लेना, गलत पैर जो बढ़ाया यह मत भूलिये।
करना है कठिनाइयों का तो सामना जीवन में, ना उसे बढाइये।
रुकना पड़े रुक जाइये, मंज़िल को ना नज़र से हटाइए,
पड़े अकेले चलना चलिये, ना राह किसी के लिये रुकिये।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)