हमारे खिलाफ गवाही तो देने, खड़ी है, हमारे सबूतों की दुनिया,
किया तो जो जो आज तो खड़े हुए है खिलाफ गवाही तो देने।
तूफान-ए-मिज़ाज ने तो जो-जो किया खड़े हुए है गवाही तो देने,
सच्चा या झूठा किया तो जो मैंने, देंगे गवाही खिलाफ तो मेरे।
ना ख्याल था होगा हाल मेरा ऐसा, हिला दी मेरी यकीनों की दुनिया
करूँ इन्कार तो कैसे, किया था जो मैंने, खड़े हुए है, गवाही देने
ना था मौका तो इन्कार का, खिलाफ थी गवाही, था फैसला मेरा
करना इन्कार, ना है बचाव मेरा, है इंतजार तो तेरे फैसले का
दिल-ए-करार मिलेगा, मिले फैसला, कामयाबी या नाकामयाबियों का
किया ने की शरारत तो जीवन से, अब इंतजार तो हैं उनके फैसले का।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)