Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7376 | Date: 22-May-1998
बड़ी अचरज की बात है, ना मेरी समझ की तो बात है
Baḍa़ī acaraja kī bāta hai, nā mērī samajha kī tō bāta hai

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 7376 | Date: 22-May-1998

बड़ी अचरज की बात है, ना मेरी समझ की तो बात है

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baḍa़ī acaraja kī bāta hai, nā mērī samajha kī tō bāta hai

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1998-05-22 1998-05-22 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=15365 बड़ी अचरज की बात है, ना मेरी समझ की तो बात है बड़ी अचरज की बात है, ना मेरी समझ की तो बात है,

रहता तू पास में मेरे, मेरे साथ में, तुझे फिर भी ढूँढ़ना पड़ता है।

समझता हूँ खुद को काबिल, फिर भी मैं तुझ से कम हूँ,

मैं रहता हूँ फिरता, थकावट मेरे पास है, ना वह तेरे पास है।

रहता है तू साथ, ना है तू अलग फिर भी अलग दिखाई देता है

भरा हुआ है प्रेम मेरे दिल में, वह दिलाने वाला तू साक्षात् है।

है संतोष भरा मेरे दिल में, तेरा संतोष तो मेरे साथ है,

कब करे क्या करे ना वह हम कह सके ना मेरे समझ की बात है।

सुख चैन कब तू दे, कब तू ले ले, ना वह मेरे समझ की बात है

दिन पर दिन बीत जाये, रहे बाकी कितने, ना मेरे समझ की बात है।
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बड़ी अचरज की बात है, ना मेरी समझ की तो बात है,

रहता तू पास में मेरे, मेरे साथ में, तुझे फिर भी ढूँढ़ना पड़ता है।

समझता हूँ खुद को काबिल, फिर भी मैं तुझ से कम हूँ,

मैं रहता हूँ फिरता, थकावट मेरे पास है, ना वह तेरे पास है।

रहता है तू साथ, ना है तू अलग फिर भी अलग दिखाई देता है

भरा हुआ है प्रेम मेरे दिल में, वह दिलाने वाला तू साक्षात् है।

है संतोष भरा मेरे दिल में, तेरा संतोष तो मेरे साथ है,

कब करे क्या करे ना वह हम कह सके ना मेरे समझ की बात है।

सुख चैन कब तू दे, कब तू ले ले, ना वह मेरे समझ की बात है

दिन पर दिन बीत जाये, रहे बाकी कितने, ना मेरे समझ की बात है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

baḍa़ī acaraja kī bāta hai, nā mērī samajha kī tō bāta hai,

rahatā tū pāsa mēṁ mērē, mērē sātha mēṁ, tujhē phira bhī ḍhūm̐ḍha़nā paḍa़tā hai।

samajhatā hūm̐ khuda kō kābila, phira bhī maiṁ tujha sē kama hūm̐,

maiṁ rahatā hūm̐ phiratā, thakāvaṭa mērē pāsa hai, nā vaha tērē pāsa hai।

rahatā hai tū sātha, nā hai tū alaga phira bhī alaga dikhāī dētā hai

bharā huā hai prēma mērē dila mēṁ, vaha dilānē vālā tū sākṣāt hai।

hai saṁtōṣa bharā mērē dila mēṁ, tērā saṁtōṣa tō mērē sātha hai,

kaba karē kyā karē nā vaha hama kaha sakē nā mērē samajha kī bāta hai।

sukha caina kaba tū dē, kaba tū lē lē, nā vaha mērē samajha kī bāta hai

dina para dina bīta jāyē, rahē bākī kitanē, nā mērē samajha kī bāta hai।
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Hindi Bhajan no. 7376 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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