Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 4484 | Date: 11-Jan-1993
माना की प्रभु, तेरे चाहने वालों की, जग में कोई कमी नही
Mānā kī prabhu, tērē cāhanē vālōṁ kī, jaga mēṁ kōī kamī nahī

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

Hymn No. 4484 | Date: 11-Jan-1993

माना की प्रभु, तेरे चाहने वालों की, जग में कोई कमी नही

  No Audio

mānā kī prabhu, tērē cāhanē vālōṁ kī, jaga mēṁ kōī kamī nahī

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1993-01-11 1993-01-11 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=16471 माना की प्रभु, तेरे चाहने वालों की, जग में कोई कमी नही माना की प्रभु, तेरे चाहने वालों की, जग में कोई कमी नही

फिर भी यकीन के साथ यह कहता हूँ, मुझ जैसा मिलेगा और कोई नही।

जिसे भाग्य की कोई परवाह नहीं, तेरे चरण के सिवा भाग्य चाहता नही,

जग में जीवन सुख की कोई चाह नहीं, तेरे दर्शन के बिना कोई सुख नहीं।

जिसकी हर धड़कन और श्वास में, तेरे नाम के बिना कोई आवाज नही,

जिसके दिल में सदा तेरे बिना, और किसी का तो राज नही ।

जिसके विचारो में समां गया है तू, मन में और किसी का विचार नही,

जिसके दिल पर तेरी ज्योति जले, और कोई ज्योति का प्रकाश नही ।

जिसके दिल में तेरी श्रद्धा की ज्योति जले, और कोई ज्योत नही,

यह मेरी जुबाँ से कहता हूँ प्रभु, मुझ जैसा मिलेगा तुझे और कोई नही ।
View Original Increase Font Decrease Font


माना की प्रभु, तेरे चाहने वालों की, जग में कोई कमी नही

फिर भी यकीन के साथ यह कहता हूँ, मुझ जैसा मिलेगा और कोई नही।

जिसे भाग्य की कोई परवाह नहीं, तेरे चरण के सिवा भाग्य चाहता नही,

जग में जीवन सुख की कोई चाह नहीं, तेरे दर्शन के बिना कोई सुख नहीं।

जिसकी हर धड़कन और श्वास में, तेरे नाम के बिना कोई आवाज नही,

जिसके दिल में सदा तेरे बिना, और किसी का तो राज नही ।

जिसके विचारो में समां गया है तू, मन में और किसी का विचार नही,

जिसके दिल पर तेरी ज्योति जले, और कोई ज्योति का प्रकाश नही ।

जिसके दिल में तेरी श्रद्धा की ज्योति जले, और कोई ज्योत नही,

यह मेरी जुबाँ से कहता हूँ प्रभु, मुझ जैसा मिलेगा तुझे और कोई नही ।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

mānā kī prabhu, tērē cāhanē vālōṁ kī, jaga mēṁ kōī kamī nahī

phira bhī yakīna kē sātha yaha kahatā hūm̐, mujha jaisā milēgā aura kōī nahī।

jisē bhāgya kī kōī paravāha nahīṁ, tērē caraṇa kē sivā bhāgya cāhatā nahī,

jaga mēṁ jīvana sukha kī kōī cāha nahīṁ, tērē darśana kē binā kōī sukha nahīṁ।

jisakī hara dhaḍa़kana aura śvāsa mēṁ, tērē nāma kē binā kōī āvāja nahī,

jisakē dila mēṁ sadā tērē binā, aura kisī kā tō rāja nahī ।

jisakē vicārō mēṁ samāṁ gayā hai tū, mana mēṁ aura kisī kā vicāra nahī,

jisakē dila para tērī jyōti jalē, aura kōī jyōti kā prakāśa nahī ।

jisakē dila mēṁ tērī śraddhā kī jyōti jalē, aura kōī jyōta nahī,

yaha mērī jubām̐ sē kahatā hūm̐ prabhu, mujha jaisā milēgā tujhē aura kōī nahī ।
English Explanation: Increase Font Decrease Font


Oh God, I acknowledge that there is no dearth of people who love you in this world.

Yet with full confidence I am telling you, that you will not get anyone like me.

I am not bothered about my fate, I don't want anything else apart from a place at your lotus feet as my fate.

In this world, I do not desire for any happiness in life, there is no other happiness apart from a glimpse of you.

In every heartbeat and every breath, there is no other sound except that of your name.

In the heart, other than you, no one else rules.

In my thought you are only there, there is no other thought about anyone else in my mind.

In the heart, only your light shines, there is no other light of any other source.

In the heart, the lamp of devotion for you is lit, there is no other lamp.

Mark my words my lord, you will not get anyone else like me.
Scan Image

Hindi Bhajan no. 4484 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
First...448044814482...Last