जीवन में तो तू बंदे, इस नियम का तो पालन करना,
इन्सान बनकर आया है तू, इन्सान बनकर तू रहना।
हँसते हँसते जीवन में तू मुसीबतों का सामना करना,
मुसीबतो के आगे जीवन में, ना सिर तू झुकने देना।
दिल जो मिला है तुझे, संभालकर तो तू इसे रखना,
प्रभु बिना ना अन्य किसी को, तू उस में बसने देना।
करना है जो जीवन में, वह तुझे, करना ही पड़ेगा,
ना जीवन में तू ऐसा करना, इन्सानियत को पड़े रोना।
सँभल सँभल के डग जीवन में तू तो भरते रहना,
डग जीवन में ऐसा ना तू भरना, जीवन में पड़े तुझे रोना।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)