Hymn No. 6632 | Date: 16-Feb-1997
|
|
Text Size |
 |
 |
यकीन ना रहा, यकीन ना रहा, अब खुदा तुझ पर यकीन ना रहा। चल रहे है हम, जीवन की राह पर, रच के आशाओं की सृष्टि में निराशाओं का घूँट तूने पिला दिया, यकीन ना रहा, यकीन ना रहा। ढूँढ़ते ढूँढ़ते सफलता जीवन में, हम उस राह पर तो चले सफलताओ की मंजिल पर, तूने हमे ना पहुँचने दिया, यकीन ना रहा। मुसीबतों का बोझ हम उठाते-उठाते जीवन में चले जा रहे थे मुसीबतों का बोझ तू बढ़ाते चला गया, यकीन ना रहा, यकीन ना रहा। संजोग जीवन में तो आते ही आते गये, वह असमंजस में डालता गया। वह परेशानियाँ क्या कम थी, तू बढ़ाता गया, यकीन ना रहा यकीन ना रहा। राह पकड़ी थी विश्वास की जीवन में, उस राह पर हम चल रहे थे, विश्वास पर वार तू करता ही रहा, यकीन ना रहा, यकीन ना रहा।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
|
|