मंजिल को पाना आसान नही है, मंजिल को पाना इतना आसान ना समझना तू बंदे,
लगता है तुझे, अगर है हद उसकी, हद वहाँ से तो शुरू होती है उसकी तो बंदे।
रखना तैयारी पूरी तू दिल से, बीच भँवर में छोड़ ना दे तुझे, वह तो बंदे,
अरे पाना मंजिल तो है, शान तो तेरी, जीवन में पा लेना उसे, तू शान से बंदे।
आँधी आये, या तूफान उठे, तेरे दिल में, काबू ना खोना, तेरे दिल का तू बंदे,
रुकावटों से ना रुक जाना तू बंदे, हर कदम मंजिल की ओर बढ़ाये जा तू बंदे।
सिर ना झुकाना मुसीबतों के आगे, पार करके मुसीबतों को, पाना है मंजिल को बंदे,
सदा मंजिल को नज़र में रखना तू बंदे, हिम्मत से मंजिल की ओर बढ़ते जा तू बंदे।
मंजिल आसान नही है, इस से परेशान ना होना बंदे, जब मंजिल को पाना है तुझे बंदे,
मंजिल को पाना भले ही आसान नही, फिर भी मुश्किल तो नही है बंदे।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)