बता दो, अब तो बता दो, हम तो है आपके, आप तो है किस के?
घूमते रहे है हम तो इस संसार में, संसार तो है आपका।
हर दम तो जपते रहे हैं, नाम तो आपका, आप जप रहे हैं, नाम तो किस का?
कहाँ भी चले इस खलक में, वहाँ तो आप ही आप हैं
हमें पहुँचने में देर तो लगती है, आपको लगी देर तो किस बात की?
ना जानते हैं हम तो कुछ, आप जानते है सब कुछ, आप चुप क्यों हो?
हमें कमी लग रही है, कोई न कोई बात की, आपको किस बात की कमी है?
मुस्कुरा देते हैं हम किसी बात पर, आप किस बात पे मुस्कुरा देते हैं?
नयनों का ना दोष है, ना दोष है दृश्य का, फिर दोष है किस बात का?
अगर आप हमें मिल जायें, यह खुलासा मिल जाये, देर है अब किस बात की।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)