यह बयाँ ने इकरार है, ओ रहमतगर हमारे कर्मों पर रहम करना।
हमारे जीवन के साथ, खेल-खेले किस्मत ने, तू तो हम पर रहम करना।
ना अँधेरा, ना उजाला, मेरे दिल में छाया है अँधेरा, तू रोशनी देना।
हूँ कमजोर, बुजदिल मैं, मेरे दिल को रहमतगर, मजबूत रखना।
मुस्कुराने की मंजिल दूर रही है मुझ से, मुझे मेरी मंजिल से दूर ना रखना।
ना और कोई है माँग मेरी, मेरे दिल में तेरी ही शक्ति भरना।
हर हाल में मैं खुश रहूँ तेरे पथ पर चलता रहूँ इतना तो करना।
उम्मीदें ना मैं बढ़ाते रहूँ, दिल में भरी हुई उम्मीदों को सफल करना।
कभी दुःख के आगे ना झुपूँ तेरी यादों सें ना मैं पीछे हटूँ, इतना तो करना।
सुख में रहूँ या दुःख में रहूँ, हर हालत में तेरी यादों में मस्त रहूँ यह तो करना।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)