ऐ खुदा, करामत तेरी सलामत रहे, फलक को तुझे चलाना है।
तेरी उम्र में कभी कमी ना आये, इस जहाँ को तेरी तो जरुरत है।
आदमी हर साँस लेकर भी, दिमाग गरम रखता है, तू ठंडे दिमाग से काम लेता है।
नज़र तेरी सलामत रहे, तुझे सारे जहाँ के कर्मों पर निगाह रखनी है।
तेरी बुद्धी में कभी कमी ना आये, हर वक्त निर्णय तुझे लेना पड़ता है।
तेरी तंदुरुस्ती में कमी ना आये, सारे जहाँ में तुझे पहुँचना पड़ता है।
तेरे हर विचार, हर अदा में रहे ताजगी जहाँ मे ना तुझे थकना हैं।
तू जहाँ भी रहे आबाद रहे तेरी आबादी से तो जहाँ आबाद है।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)