सदाबहार आप है प्रभु, सदाबहार है आपकी कहानियाँ,
हम आये आपके द्वार, आप ना मिले, ऐसा हो ही नही सकता।
ढूँढ़ूँ मैं सब जगह, मिलन ना हुआ, मिलन दुश्वार हो गया,
समझना चाहा आपको प्रभु, समझना, समझ के बाहर हो गया।
दिल ने जब दिल की आवाज सुनी, इस आवाज में आपकी आवाज मिली,
हर आवाज में थी आवाज आपकी, पहचानना मुश्किल हो गया।
यकीन की कसरत करनी पड़ी जीवन में, कहानी जीवन को बना दिया,
हर एक चीज में छिपे रह रह कर, मिलन को मुश्किल बना दिया।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)