Hymn No. 8857
वल्लाह तेरा कोई जवाब नही, अल्लाह तेरा कोई जवाब नही।
vallāha tērā kōī javāba nahī, allāha tērā kōī javāba nahī।
મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ
(Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)
1900-01-01
1900-01-01
1900-01-01
https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=18344
वल्लाह तेरा कोई जवाब नही, अल्लाह तेरा कोई जवाब नही।
वल्लाह तेरा कोई जवाब नही, अल्लाह तेरा कोई जवाब नही।
ना तुझे गुनहगार कह सकता हूँ, ना नज़र से नज़र चुरा सकता हूँ ...
इस जग में ना चैन से रहने देने के लिये क्या-क्या तरीका आजमाते हैं
नज़र से एक तीर छोड़ कर दिल को घायल कर देते हैं ...
तेजो के पुंज बन कर भी क्या तुझे शर्म नही आती
हमे अँधेरे में क्यों डुबोये जाते है ... वल्लाह...
बिन लेखनी के लिखे लेख हमारे
कभी गौर से देखा है क्या तूने लिखा है...
हमे शंका होती है मन में जब पूछते हैं तू चुप हो जाता है ...
प्रेम पाने के लिये बैठे हैं आपके सामने
नज़र भी ना मिलाता है तू, प्यार की प्यास बढ़ाता है तू ...
अग्न में जलता हुआ देखकर हमें, मन ही मन मुस्कुराता है तू ...
पास हमारे आने को, हमें अपना बनाने को हमारी बेकरारी बढ़ाता है तू।
https://www.youtube.com/watch?v=OD6XvZTEtgc
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
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वल्लाह तेरा कोई जवाब नही, अल्लाह तेरा कोई जवाब नही।
ना तुझे गुनहगार कह सकता हूँ, ना नज़र से नज़र चुरा सकता हूँ ...
इस जग में ना चैन से रहने देने के लिये क्या-क्या तरीका आजमाते हैं
नज़र से एक तीर छोड़ कर दिल को घायल कर देते हैं ...
तेजो के पुंज बन कर भी क्या तुझे शर्म नही आती
हमे अँधेरे में क्यों डुबोये जाते है ... वल्लाह...
बिन लेखनी के लिखे लेख हमारे
कभी गौर से देखा है क्या तूने लिखा है...
हमे शंका होती है मन में जब पूछते हैं तू चुप हो जाता है ...
प्रेम पाने के लिये बैठे हैं आपके सामने
नज़र भी ना मिलाता है तू, प्यार की प्यास बढ़ाता है तू ...
अग्न में जलता हुआ देखकर हमें, मन ही मन मुस्कुराता है तू ...
पास हमारे आने को, हमें अपना बनाने को हमारी बेकरारी बढ़ाता है तू।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
vallāha tērā kōī javāba nahī, allāha tērā kōī javāba nahī।
nā tujhē gunahagāra kaha sakatā hūm̐, nā naja़ra sē naja़ra curā sakatā hūm̐ ...
isa jaga mēṁ nā caina sē rahanē dēnē kē liyē kyā-kyā tarīkā ājamātē haiṁ
naja़ra sē ēka tīra chōḍa़ kara dila kō ghāyala kara dētē haiṁ ...
tējō kē puṁja bana kara bhī kyā tujhē śarma nahī ātī
hamē am̐dhērē mēṁ kyōṁ ḍubōyē jātē hai ... vallāha...
bina lēkhanī kē likhē lēkha hamārē
kabhī gaura sē dēkhā hai kyā tūnē likhā hai...
hamē śaṁkā hōtī hai mana mēṁ jaba pūchatē haiṁ tū cupa hō jātā hai ...
prēma pānē kē liyē baiṭhē haiṁ āpakē sāmanē
naja़ra bhī nā milātā hai tū, pyāra kī pyāsa baḍha़ātā hai tū ...
agna mēṁ jalatā huā dēkhakara hamēṁ, mana hī mana muskurātā hai tū ...
pāsa hamārē ānē kō, hamēṁ apanā banānē kō hamārī bēkarārī baḍha़ātā hai tū।
English Explanation |
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In this Bhajan Shri Devendra Ghiaji is telling us to pray to the lord, keep on asking to remove us from darkness, and enlighten our life.
My lord you are unimaginable, my lord you are unimaginable.
Neither can I call you a criminal, nor can I steal sight from you.
To stay unhappy in life people try so many ways.
By just vision, u throw arrow and you injure my heart.
Being an illuminator you are not ashamed of immersing us in darkness.
Without stylus you wrote my life, have you ever noticed what you have written.
I doubt in my mind when I ask you anything you stay silent.
To get the love I am sitting in front of you.
You never have any eye to eye contact with me, thirst for being loved by you increases.
I am burning in the fire, internally you are smiling.
Coming near to me, from becoming we to us, you are increasing my longing.
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