मेरे दिल का मुकाबला, जन्नत भी तो नहीं कर सकता
चाहूँ तब दिल में सब कुछ ला सकता हूँ, मिटा सकता हूँ
जन्नत से भी प्यारा है दिल, मेरे प्रभु ने किया इसलिए बसेरा,
मैं जो भी हूँ मेरे दिल के कारण हूँ, ना जन्नत की कोई कमी है।
दिल मेरा रहता भरा भरा है, कमी का ना कोई स्थान है।
ना वहाँ कोई और है, वहाँ मैं पूर्ण रूप से मैं ही हूँ।
मेरा दिल मेरा जहाँ है, मेरा जहाँ मेरे दिल से जुदा नहीं है
सब वहाँ इकरार है ना कोई इन्कार है, ना बेकरार है
मेरा दिल मेरा जहाँ है, मेरी जन्नत से ना अलग हो, ना दिल से जुदा हो।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)