रोना किस बात का, हँसना किस बात का, जो होना था सो हुआ,
कर जरा अब तो विचार तू, कैसे और क्यों हुआ?
रोक ना सका जब तू उन्हें, होना था सो हो गया।
कभी दुख तो मिला, कभी सुख तो मिला, ना कोई भी टिका।
रोक ना सका दुःख-दर्द तो मिला, रोने से फायदा क्या मिला?
हो ना था जो वह होकर रहा, कर विचार वह क्यों हुआ?
कभी चाहता था वह हुआ, कभी चाहता नही था वह हुआ,
कुछ न कुछ तो मिलता रहा, ना टिका, क्या फायदा मिला?
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)