खुदा के साथ कभी दिल मत लगाना, तू बेघर बन जायेगा,
लगा के भी पछतायेगा, ना लगाके भी पछतायेगा।
सब कुछ जान के भी, वह मौन रहा है, तू भी मौन बन जायेगा,
ना घरबार है उसका, तू भी बेघर बन जायेगा।
कर रहा है वह फिक्र सारे जहाँ की, तू भी जहाँ की फिक्र करने लग जाएगा।
बेमिसाल रहा है वह जहाँ में, तू भी बेमिसाल बन जायेगा।
ना खाता है, ना पीता है, वह कुछ भी, तू भी खाना पीना भूल जायेगा।
नज़र ना खोलकर के भी जहाँ पर नज़र रखता है, तू भी नज़र बंद कर देगा।
प्यार के बिना ना है उनके पास कुछ भी, तू भी प्यार का दरिया बन जायेगा।
ना है वह खुश, ना नाखुश भी, तू भी दोनो से परे हो जायेगा।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)