चाहता नही दुःख दर्द में दिलासा प्रभु, देना है तो सहनशक्ति और दीजिए।
मुहब्बत भरी नज़र डाल नही सकते जीवन में, करुणाभरी नज़र हम पर फेंक दीजिए।
पाई सारी खुदाई कमी तेरी नज़रों की जीवन में, वही नज़र मुझ पर अब डाल दीजिए।
हालत हमारी माँग रही है, दाद प्रभु तेरी, अब तो हालत पर हमारी रहम खाईये
नाकामयाबियों की पहन कर माला, घूम रहे हैं इस संसार में, एकबार नज़र इस पर डालिये।
हर बार कोशिश कर रहें है हम, अब हमारी कोशिशों को, मंजिल पर पहुँचा दीजिए।
टूटे ना हिम्मत से जीवन में कभी, ऐसी हिम्मत हमारे दिल में तो भर दीजिए।
लिखी है जब हमारे जीवन की कहानी, जीवन में से असत्य का अक्षर मिटा दीजिए।
राजी हूँ तो मैं, जब तेरी राजी में प्रभु, दर्शन देने में देर अब मत कीजिये।
सब कुछ करवाना प्रभु तू तो मुझसे, इस मानव जीवन का मौका सफल करने दीजिए।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)