उम्मीद तूने मुझे जीवन में जीना सीखा दिया, जीना सीखा दिया,
तेरे सहारे जी रहा हूँ, तूने मुझे तो जग में, जीना सीखा दिया।
आदत नही है मेरी, सिर झुकाना, तूने, प्रभु के आगे सिर झुकाना सीखा दिया,
वक्त हर वक्त परेशान कर रहा है, तूने मुझे परेशानियाँ सहना सीखा दिया।
ना उम्मीदों में जब मैं डूब गया, प्रकाश फैला के दिल में, दिल का अँधेरा मिटा दिया,
कई गलतियाँ थी तो मुझ में छिपी, तूने मुझे दूर करना सीखा दिया।
बार-बार हट रहा था जीवन में मैं तो पीछे, तूने मुझे, आगे बढ़ना सीखा दिया,
सुख दुःख और गलियाँ हैं इस संसार में, तूने मुझे सहज से फिरना सीखा दिया।
लड़ रहा था किस्मत के आगे जीवन में, तूने मुझे सामना करना सीखा दिया,
हर साँस में भर कर उम्मीदें तो जग में, तूने मुझे संसार में तैरना सीखा दिया।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)