जल में रहना, जल में जीना, फिर क्यों जल से डरते रहना?
जीना है जग में, रहना है जगमें, फिर जग से क्यों डरते रहना?
प्यार तो है करना प्यार में है जीना, फिर प्यार से क्यों डरना?
कर्मों की है धरती, कर्मों में है जीना, फिर कर्मों से है क्यों डरना?
पाप पुण्य के साथ रहते है, पाप पुण्य करते हैं, फिर पाप पुण्य से क्यों डरना?
सब जगह में है प्रभु, बसते है दिल में जब प्रभु, फिर प्रभु से क्यों डरना?
मानव के बीच है जीना, मानव बन के जीना, फिर मानव सें क्यों डरना?
दुःख दर्द है अंग जीवन का, दुःख दर्द पड़ेगा सहना, फिर दुःख से क्यों डरना?
अँधेरा उजाला है जीवन में, जीवन में उस में रहना पड़ेगा, फिर अँधेरे से क्यों डरना?
दुश्मन मिलेंगे हर दिशा में, इनके बीच पड़ेगा रहना, फिर क्यों उनसे डरना?
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)