Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6616 | Date: 09-Feb-1997
जल में रहना, जल में जीना, फिर क्यों जल से डरते रहना?
Jala mēṁ rahanā, jala mēṁ jīnā, phira kyōṁ jala sē ḍaratē rahanā?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6616 | Date: 09-Feb-1997

जल में रहना, जल में जीना, फिर क्यों जल से डरते रहना?

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jala mēṁ rahanā, jala mēṁ jīnā, phira kyōṁ jala sē ḍaratē rahanā?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-02-09 1997-02-09 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=16603 जल में रहना, जल में जीना, फिर क्यों जल से डरते रहना? जल में रहना, जल में जीना, फिर क्यों जल से डरते रहना?

जीना है जग में, रहना है जगमें, फिर जग से क्यों डरते रहना?

प्यार तो है करना प्यार में है जीना, फिर प्यार से क्यों डरना?

कर्मों की है धरती, कर्मों में है जीना, फिर कर्मों से है क्यों डरना?

पाप पुण्य के साथ रहते है, पाप पुण्य करते हैं, फिर पाप पुण्य से क्यों डरना?

सब जगह में है प्रभु, बसते है दिल में जब प्रभु, फिर प्रभु से क्यों डरना?

मानव के बीच है जीना, मानव बन के जीना, फिर मानव सें क्यों डरना?

दुःख दर्द है अंग जीवन का, दुःख दर्द पड़ेगा सहना, फिर दुःख से क्यों डरना?

अँधेरा उजाला है जीवन में, जीवन में उस में रहना पड़ेगा, फिर अँधेरे से क्यों डरना?

दुश्मन मिलेंगे हर दिशा में, इनके बीच पड़ेगा रहना, फिर क्यों उनसे डरना?
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जल में रहना, जल में जीना, फिर क्यों जल से डरते रहना?

जीना है जग में, रहना है जगमें, फिर जग से क्यों डरते रहना?

प्यार तो है करना प्यार में है जीना, फिर प्यार से क्यों डरना?

कर्मों की है धरती, कर्मों में है जीना, फिर कर्मों से है क्यों डरना?

पाप पुण्य के साथ रहते है, पाप पुण्य करते हैं, फिर पाप पुण्य से क्यों डरना?

सब जगह में है प्रभु, बसते है दिल में जब प्रभु, फिर प्रभु से क्यों डरना?

मानव के बीच है जीना, मानव बन के जीना, फिर मानव सें क्यों डरना?

दुःख दर्द है अंग जीवन का, दुःख दर्द पड़ेगा सहना, फिर दुःख से क्यों डरना?

अँधेरा उजाला है जीवन में, जीवन में उस में रहना पड़ेगा, फिर अँधेरे से क्यों डरना?

दुश्मन मिलेंगे हर दिशा में, इनके बीच पड़ेगा रहना, फिर क्यों उनसे डरना?




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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jala mēṁ rahanā, jala mēṁ jīnā, phira kyōṁ jala sē ḍaratē rahanā?

jīnā hai jaga mēṁ, rahanā hai jagamēṁ, phira jaga sē kyōṁ ḍaratē rahanā?

pyāra tō hai karanā pyāra mēṁ hai jīnā, phira pyāra sē kyōṁ ḍaranā?

karmōṁ kī hai dharatī, karmōṁ mēṁ hai jīnā, phira karmōṁ sē hai kyōṁ ḍaranā?

pāpa puṇya kē sātha rahatē hai, pāpa puṇya karatē haiṁ, phira pāpa puṇya sē kyōṁ ḍaranā?

saba jagaha mēṁ hai prabhu, basatē hai dila mēṁ jaba prabhu, phira prabhu sē kyōṁ ḍaranā?

mānava kē bīca hai jīnā, mānava bana kē jīnā, phira mānava sēṁ kyōṁ ḍaranā?

duḥkha darda hai aṁga jīvana kā, duḥkha darda paḍa़ēgā sahanā, phira duḥkha sē kyōṁ ḍaranā?

am̐dhērā ujālā hai jīvana mēṁ, jīvana mēṁ usa mēṁ rahanā paḍa़ēgā, phira am̐dhērē sē kyōṁ ḍaranā?

duśmana milēṁgē hara diśā mēṁ, inakē bīca paḍa़ēgā rahanā, phira kyōṁ unasē ḍaranā?
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Hindi Bhajan no. 6616 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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